lk advani bharat ratnaराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया सम्मानित; PM मोदी भी रहे मौजूद
देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को आज भारत रत्न से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने उनके घर जाकर उन्हे सम्मानित किया. इस अवसर पर पीएम मोदी भी मौजूद रहे. पीएम मोदी के अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनड़ वैंकय्या नायडू भी मौजूद थे. इससे पहले शनिवार (30 मार्च) को राष्ट्रपति भवन में चार शख्सियतों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
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LK Advani Bharat Ratna। देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को आज भारत रत्न से सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु ने उनके घर जाकर उन्हे सम्मानित किया. इस अवसर पर पीएम मोदी भी मौजूद रहे. पीएम मोदी के अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनड़, वैंकय्या नायडू भी मौजूद थे.
आडवाणी को भारत रत्न, कौन-कौन रहा मौजूद
लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी मौजूद रहें। आडवाणी को सम्मानित करने वाला वीडियो भी सोशल मीडिया पर आ गया है. वहां लोग इस सम्मान के दौरान काफी प्रसन्न दिखे. आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के अगुआ थे. एक समय के कद्दावर शख्सियत और अटल सरकार में डिप्टी पीएम के पद पर रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता इस समय उम्रदराज और खराब स्वास्थ्य के चलते दिल्ली स्थित घर में ही रहते हैं.
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इन चार लोगों को भी मिला भारत रत्न
दरअसल, राष्ट्रपति भवन में शनिवार को आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की चार महान हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया. इसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर, देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव एवं चौधरी चरण सिंह और देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन शामिल रहे. इन चारों ही लोगों को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया. सरकार ने सभी को मरणोपरांत भारत रत्न सम्मान देने का ऐलान किया था.
कार्यक्रम में स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर ने भारत रत्न सम्मान प्राप्त हासिल किया. देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव पुत्र पीवी प्रभाकर राव ने राष्ट्रपति से यह सम्मान प्राप्त किया. पूर्व प्रधानमंत्री एवं किसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह को दिया गया भारत रत्न उनके पोते जयंत चौधरी ने लिया. देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उनकी बेटी नित्या राव ने राष्ट्रपति मुर्मू से यह सम्मान प्राप्त किया.
सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक’
पीएम मोदी ने कहा था कि, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने उनसे बात भी की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी. हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान स्मारकीय है उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है. उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी खुद को प्रतिष्ठित किया. उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं.
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राजनैतिक जीवन
वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की. तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे. वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व सम्भाला. वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे. इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने सम्भाला.
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1990 राम रथ यात्रा
इसी दौरान वर्ष 1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली. हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ़्तार कर लिया गया पर इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया।[2] 1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुँचा दिया था. वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है.
पार्टी भूमिका
लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं. आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे।l. वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार केन्द्रीय सरकार में कैबिनेट मन्त्री की हैसियत से लालकृष्ण आडवाणी ने दायित्व सम्भाला. आडवाणी इस दौरान सूचना प्रसारण मन्त्री रहे.
आडवाणी ने अभी तक के राजनीतिक जीवन में सत्ता का जो सर्वोच्च पद सम्भाला है वह है एनडीए शासनकाल के दौरान उपप्रधानमन्त्री का. लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केन्द्रीय गृहमन्त्री बने और फिर इसी सरकार में उन्हें 29 जून 2002 को उपप्रधानमन्त्री पद का दायित्व भी सौंपा गया.
भारतीय संसद में एक अच्छे सांसद के रूप में आडवाणी अपनी भूमिका के लिए कभी सराहे गए तो कभी पुरस्कृत भी किए गए.
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