Ramadan 2024: भारत में कब से शुरू हो रहा है माह-ए-रमजान?
Ramadan 2024:रमजान का पवित्र महीना जल्दी ही शुरू होने वाला है. लेकिन लोगों को चांद के दिखने और पहला रोजा रखने की तारीख को लेकर कंफ्यूजन है. तो यहां पर उसके बारे में जानकारी दी जा र है कि चांद कब दिखेगा और पहला रोजा कब रखा जाएगा!
मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। रोजा के दौरान लोग सहरी करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं और शाम को इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।
Ramadan 2024:
इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को सबसे पाक माना जाता है। यह महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है। रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है। इसे माह ए रमजान भी कहा जाता है। मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। रोजा के दौरान लोग सहरी करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठते हैं और शाम को इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के महीने में रोजा रखना, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है। यह महीना सभी मुसलमानों के लिए बेहद खास माना जाता है। ऐसे मे चलिए जानते हैं इस साल रमजान के पाक महीने की शुरुआत कब से हो रही है और पहला रोजा कब रखा जाएगा!
कब दिखेगा चांद?और पहला रोजा कब रखा जाएगा!
अगर भारत में 10 मार्च को रमजान का चांद दिख जाता है तो पहला रोजा 11 मार्च को रखा जाएगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो 12 मार्च से रमजान का पहला रोजा शुरू होगा. आमतौर पर सऊदी अरब में चांद दिखने के एक दिन बाद भारत में चांद नजर आता है. इसलिए अक्सर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रमजान का पहला रोजा सऊदी अरब के पहले रोजे के एक दिन बाद शुरू होता है. चांद दिखने के अगले दिन से ही रमजान का पवित्र महीना शुरू हो जाता है!
कब रखा जाएगा पहला रोजा?
रमजान का महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है। सबसे पहले सऊदी अरब में रमजान का चांद दिखाई देता है। यदि सऊदी अरब में रमजान का चांद आज यानी 10 मार्च को दिखाई देता है, तो वहां पहला रोजा 11 मार्च को रखा जाएगा। वहीं भारत और पाकिस्तान में रमजान का चांद सऊदी अरब के चांद के एक दिन बाद दिखता है, इसलिए इन देशों में रमजान के रोजे की शुरुआत सऊदी अरब के एक दिन बाद से होती है। ऐसे में भारत में इस साल रमजान की शुरुआत 11 या 12 मार्च से होने की उम्मीद है। अगर यहां 11 मार्च को चांद नजर आता है तो 12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा।
रमजान का महत्व :
रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है। इस्लाम धर्म में बताया गया है कि रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है। चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज के निकलने से पहले सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है।
रोजा कितने दिन तक चलता है?
वैसे तो रमजान में पूरे 29 या 30 दिनों का रोजा रखा जाता है!
रमजान की शुरुआत कैसे हुई?
हज़रत मोहम्मद के हिजरत करने यानी मक्का से मदीना जाने (622 ईस्वी) के दूसरे साल यानी साल 624 ईस्वी में इस्लाम में रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने को फ़र्ज़ अथवा अनिवार्य क़रार दिया गया था. उसके बाद से ही पूरी दुनिया में बिना किसी बदलाव के रोज़ा रखा जाता रहा है!
क्या है सहरी?
रोजे की शुरुआत सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ होती है। इस समय सहरी ली जाती है। रमजान माह में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। सभी मुस्लिम लोगों को रोजा रखना अनिवार्य माना जाता है, लेकिन बच्चों और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों को रोजा रखने के लिए छूट दी गई है।
क्या है इफ्तार?
दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रखने के बाद शाम को नमाज पढ़ी जाती है और खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है। इसके बाद से सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी खा पी सकता है।
रमजान के दौरान रोजा रखने के नियम?
रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। यानी इस दौरान न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही किसी को बुरा कहें।
साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस न पहुंचे।
रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है।
हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं।
रोजा में क्या नहीं कर सकते?
रोजे में क्या नहीं करना चाहिए
धार्मिक गुरू के मुताबिक, रोजा रखने के दौरान जुबान के साथ साथ नजरों का भी ध्यान रखना होता है। मतलब कि अगर रोजेदार किसी को गलत निगाहों से देखते हैं, तो इससे भी उनका रोजा टूट सकता है। इसके अलावा रोजे के दौरान झूठ बोलना या पीठ पीछे बुराई करना भी हराम माना गया है।
क्या थूकने से रोजा टूट जाता है?
क्या होता है रोजा का मकरूह होना जैसे रोजा रखने के दौरान गीले कपड़े पहनने, दांत निकलवाने, मुंह में थूक निकलना, इफ्तार में जल्दी करने आदि जैसे कामों से रोजा तो नहीं टूटता लेकिन रोजा मकरूह हो जाता है!
रोजा में क्या खाना खाते हैं?
रोजेदार इन बातों का रखें ध्यान:सहरी या इफ्तार (Sehri Or Iftar) में हमेशा कम तली हुई चीजें ही खाएं क्योंकि ऐसी चीजों को खाने से प्यास लगने की संभावना बढ़ जाती है! सहरी में प्रोटीन और फाइबर (Protein and Fiber) वाली चीजें ज्यादा लें मल्टीग्रेन रोटी, छिलके सहित फल, अंडे, पनीर, चिकन आदि खा सकते हैं!
रोजा रखने से कौन सी बीमारी दूर होती है?
रोजा रखने से पित्त और लीवर की बीमारी दूर होती है। ऐसा वैज्ञानिक शोधों से भी प्रमाणित हो चुका है। मोहम्मद अली अनवर का कहना है कि चाहे हिंदू धर्म हो या इस्लाम सबमें ऐसे पर्व-त्योहार हैं जिनके वैज्ञानिक पक्ष भी हैं। प्राचीन काल में पहा़ड़ों की गुफाओं और कंदराओं में फकीर और संत तपस्या करते थे।
रोजा रखने का नियम क्या है?
सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रोजा का पालन करें और इन दौरान कुछ भी खाने-पीने से परहेज करें। यदि कोई दिन में रोजे के दौरान खा या पी लेता है, तो रोजा खत्म हो जाएगा। लेकिन यदि कोई भूलवश रोजा रखते हुए खा या पी लेता तो रोजा सही माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति उल्टी की तरह महसूस करता है, तो रोजा जारी रख सकता है।
रमजान में ज्यादा से ज्यादा क्या पढ़ना चाहिए?
वे कहते हैं कि रमजान के महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करनी चाहिए. रमजान में कुरान को ज्यादा से ज्यादा पढ़ना चाहिए. नमाज की पाबंदी, जकात, सदाक और अल्लाह का जिक्र करके इबादत करनी चहिए!
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